नीरंचल - विश्व बैंक सहायता प्राप्त राष्ट्रीय जल प्रबंधन प्रबंधन परियोजना

परियोजना विकास घटक

नीरांचल परियोजना विकास का उद्देश्य (पीडीओ) चुनिंदा स्थलों में समुदायों के लिए वृद्धिमूलक संरक्षण परिणाण और कृषि उपजों में सुधार करने, और सहभागी राज्यों में व्यापक पीएमकेएसवाई में और अधिक प्रभावी प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए तकनीकी सहायता के माध्यम से डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई को सहायता करना है।

परियोजना वित्त-पोषण

कुल परियोजना लागत 357.0 मिलियन अमरीकी डॉलर है। परियोजना का वित्त-पोषण 50/50 लागत साझेदारी अनुपात में निवेश परियोजना वित्त-पोषण (आईपीएफ) के माध्यम से किया जाएगा जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय विकास एशोसिएशन (आईडीए) वित्त-पोषण में 178.5 मिलियन अमरीकी डॉलर और डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई में से भारत सरकार से 178.5 मिलियन अमरीकी डॉलर के बराबर भारतीय मुद्रा में रुपए शामिल हैं।

घटक

(करोड़ रु.)

(अमरीकी डॉलर मिलियन में)

कुल मूल लागत का प्रतिशत

सरकार

बैंक

कुल

सरकार

बैंक

कुल

क. केन्द्रीय संस्था और क्षमता संवर्धन

34.0

34.0

68.1

5.7

5.7

11.4

3.2

ख. राष्ट्रीय नवाचार सहायता

90.6

90.6

181.2

15.1

15.1

30.2

8.5

ग. सहभागी राज्यों में आईडब्ल्यूएमपी को सहायता

910.9

910.9

1,821.8

151.8

151.8

303.6

85.0

घ. परियोजना प्रबंधन और समन्वय

35.6

35.6

71.2

5.9

5.9

11.8

3.3

कुल परियोजना लागत

1,071.1

1,071.1

2,142.2

178.5

178.5

357.0

100.0

घटक 3 केन्द्र और राज्य के बीच 60 और 40 के अनुपात की हिस्सेदारी में साझा किया जाएगा।

कार्यान्वयन अवधि

परियोजना 2016-17 से 2021-22 तक कार्यान्वित की जाएगी।

परियोजना के लाभार्थी

परियोजना 9 राज्यों नामतः आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़िशा, राजस्थान और तेलंगाना में चुनिंदा स्थलों में कार्यान्वित की जाएगी। इन राज्यों का चयन वर्षा सिंचित कृषि भूमि के क्षेत्र, गरीबी के स्तरों, एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी) का सक्रिय कार्यान्वयन होने, और राज्य स्तरीय कार्यकलापों में परियोजना और लागत हिस्सेदारी में सहभागिता करने की इच्छा के आधार पर भूमि संसाधन विभाग द्वारा किया गया।

इस परियोजना से प्रत्येक सहभागी राज्य में 2 जिलों में और अधिक वाटरशेड प्रबंधन कार्यकलापों में सहयोग मिलेगा, जिनमें प्रत्येक लगभग 5000 हेक्टेयर के 450 उप वाटरशेड शामिल होंगे और जिनसे लगभग 482,000 किसान परिवारों और 2.0 मिलियन लोगों को लाभ होगा। प्रारंभ में इस परियोजना में गहन तकनीकी सहायता के साथ 90 उप-वाटरशेडों पर फोकस होगा। इस प्रथम चरण के बाद, इस परियोजना से आगे 9 फोकल राज्यों में प्रति राज्य 2 मूल जिलों में अतिरिक्त 360 उप वाटरशेडों में आईडब्ल्यूएमपी कार्यों में सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को लागू करने में सहायता मिलेगी।

परियोजना विवरण

परियोजना के घटक

घटक 1. केन्द्रीय संस्थागत और क्षमता संवर्धन (11.4 मिलियन अमरीकी डॉलर)

इस घटक से और अधिक प्रभावी आयोजना, कार्यान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन, और वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रमों की रिपोर्ट करने के लिए मुख्य राष्ट्रीय हितधारकों, विशेष रूप से भूमि संसाधन विभाग की संस्थाएं और मानव संसाधन सुदृढ़ होंगे। इस घटक के उद्देश्य चार उप घटकों के माध्यम से प्राप्त किए जाएंगे। उप घटक 1.1 (राष्ट्रीय स्तर पर क्षमता संवर्धन और संस्थागत विकास) से राष्ट्रीय वाटरशेड प्रशिक्षण आवश्यकता मूल्यांकन और संस्थागत मानव संसाधन समीक्षा में सहायता मिलेगी, कार्यक्रम आयोजना, प्रबंधन और नीतिगत विश्लेषण के लिए भूमि संसाधन विभाग की क्षमता बढ़ेगी, सामान्य प्रशिक्षण सामग्रियां विकसित होंगी, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ज्ञानार्जन दौरों में समन्वय और सहायता होगी और उन परियोजना राज्यों के लिए समर्थन मिलेगा जो घटक 3 में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएंगे। उप घटक 1.2 (राष्ट्रीय सूचना और डाटा केन्द्र) से वाटरशेड प्रबंधन से संबंधित और अधिक ज्ञान/सूचना का आदान-प्रदान और डाटा आधार विकास का समन्वय करने के लिए भूमि संसाधन विभाग के वर्तमान ढांचे के भीतर क्षमता स्थापित होगी। उप घटक 1.3 (संचार) से वृहत संचार और ब्रांडिंग कार्यक्रम में सहायता मिलेगी। उप घटक 1.4 (निगरानी और मूल्यांकन) से नई प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) से जुड़ी एकीकृत निगरानी और मूल्यांकन (एमएण्डई) प्रणाली विकसित और सुदृढ़ होगी तथा इससे आईडब्ल्यूएमपी और अन्य वाटरशेड संबद्ध कार्यक्रमों के राष्ट्रीय निष्पादन की जानकारी रखने के लिए भूमि संसाधन विभाग राज्यों से जुड़ेगा। इस घटक से परामर्शदाताओं और कार्यान्वयन एजेंसियों; चुनिंदा प्रचालन लागतों, विशिष्ट प्रशिक्षणों, कार्यशालोँ और शिक्षण कार्यक्रमों; उपस्कर; और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ज्ञानार्जन दौरों का वित्त-पोषण होगा।

घटक 2. राष्ट्रीय अभिनव कार्य सहायता (30.2 मिलियन अमरीकी डॉलर)

इस घटक में वाटरशेड आयोजना और क्रियान्वयन, कृषि गहनीकरण, जलवायु परिवर्तन, ग्रामीण आजीविका और जल विज्ञान के बारे में राज्यों, समुदायों और किसानों की चिह्नित आवश्यकतओं के आधार पर आईडब्ल्यूएमपी में सुधारों का सुदृढ़ीकरण करने के लिए अभिनव, विज्ञान आधारित ज्ञान साधनों और दृष्टिकोणों के प्रयोग में सहायता मिलेगी। इस घटक के उद्देश्य दो उप-घटकों के माध्यम से प्राप्त किए जाएंगे। उप-घटक 2.1 (कृषि निष्पादन, ग्रामीण आजीविका और जलवायु परिवर्तन अभिनव प्रयास) से मौजूदा ज्ञान और अभिनव कार्य सुदृढ़ होंगे और ये बेहतर कृषि निष्पादन करने और जलवायु परिवर्तन से बेहतर तरीके से निपटने और अधिक कमजोर समुदाय सदस्यों को अपनी आजीवीका में सुधारने, सहायता करने में किसानों को सहायता करने के लिए सहभागी परियोजना क्षेत्रों को अंतरित होंगे। उप-घटक 2.2 (जल विज्ञान और वाटरशेड प्रबंधन के लिए निर्णय सहायक प्रणाली और डाटाबेस) से आईडब्ल्यूएमपी परियोजनाओं को अपेक्षाकृत अधिक व्यापक और वैज्ञानिक तरीके से भूमि पर, विस्तारित उप वाटरशेड और सूक्ष्म वाटरशेड स्तरों, विशेष रूप से जल विज्ञान के लिए कार्यान्वित करने के लिए भूमि संसाधन विभाग और परियोजना राज्यों को सहायता करने के लिए नई निर्णय सहायक प्रणालियां विकसित होंगी और इनपर प्रयोग किया जाएगा, तथा डाटाबेस विकास के लिए राज्यों को तकनीकी सहायता मिलेगी। इस घटक से मुख्य कार्यान्वयक साझेदार (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान); प्रमुख अनुबंधित कार्यान्वयक एजेंसियों और आवश्यकता पड़ने पर अन्य परामर्शी एजेंसियों का वित्त-पोषण होगा।

घटक 3. सहभागी राज्यों में आईडब्ल्यूएमपी कार्यान्वयन सहायता (303.6 मिलियन अमरीकी डॉलर)

इस घटक से सहभागी राज्यों में आईडब्ल्यूएमपी की प्रचालन प्रभावकारिता, अन्य सरकारी कार्यक्रमों के साथ समामेलन/समेकन और जमीन पर माप योग्य प्रभाव को बेहतर बनाने के लिए गहन, विज्ञान आधारित तकनीकी सहायता मिलेगी। घटक के उद्देश्य चुनिंदा स्थलों में आईडब्ल्यूएमपी प्रचालनों से जुड़े 4 मूल उप घटकों और आईडब्ल्यूएमपी क्षेत्रो से बाहर कार्यान्वित किए जाने वाले 2 अतिरिक्त प्रायोगिक उप-घटकों के माध्यम से प्राप्त किए जाएंगे। उप-घटक 3.1 (वर्षा सिंचित क्षेत्रों में बेहतर कार्यक्रम समेकन के लिए सहायता) से एसएलएनए में भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) क्षमता सुदृढ़ होगी, राज्य स्तरीय डाटाबेस विकसित होगा, आईडब्ल्यूएमपी के लिए जमीनी स्तर पर केचमेंट मूल्यांकन/आयोजना में सहायता मिलेगी और समुदाय आधारित निगरानी सुद़ढ़ होगी। उप-घटक 3.2 (संस्थागत सुदृढ़ीकरण) से एसएलएनए में और फील्ड स्तर पर सहभागी राज्यों में संगत क्षमताएं बढ़ेंगी। उप-घटक 3.3 (अनुसंधान एवं विकास को अपनाना और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण) से कृषि निष्पादन; जल विज्ञान और वाटरशेड प्रबंधन के लिए डीएसएस; जलवायु परिवर्तन और जोखिम कमी; और मूल्य संवर्धन, सप्लाई चेन, विस्तार प्रणालियों और आजीविका बढ़ाने के बारे में घटक 2 में विकसित अभिनव कार्यों को अपनाने में सहायता मिलेगी। उप-घटक 3.4 (राज्य स्तरीय प्रबंधन और समन्वय) से घटक 3 के कार्यकलापों को प्रभावी तरीके से कार्यान्वित करने के लिए एसएलएनए को वृद्धिमूलक सहायता मिलेगी। उप-घटक 3.5 (राज्य विशिष्ट अभिनव और प्रायोगिक कार्य) से स्थानीय रूप से उपयुक्त वाटरशेड पहल तैयार करने और ज्ञान का आईडब्ल्यूएमपी में संभावित समेकन करने के लिए उसका विकास करने हेतु सीमित संख्या में लघु, राज्य विशिष्ट अभिनव प्रयासों और प्रायोगिक कार्यों में सहायता मिलेगी। उप-घटक 3.6 (शहरी वाटरशेड प्रबंधन) में प्रत्येक सहभागी राज्य में 2 लघु केचमेंटों तक में शहरी वाटरशेड प्रबंधन का प्रदर्शन होगा। उप-घटक 3.1 से 3.4 से परामर्शदाताओं, राज्य संस्थाओं और अन्य एजेंसियों से तकनीकी सहायता; उपस्कर; कार्यशालाओं, स्थानीय और राष्ट्रीय प्रशिक्षण तथा ज्ञानार्जन दौरों और वृद्धिमूलक स्टाफ तथा प्रचालन लागतों का वित्त-पोषण होगा। उप-घटक 3.5 और 3.6 से परामर्शदाताओं, राज्य संस्थाओं और अन्य एजेंसियों से तकनीकी सहायता, माल और उन्नत मृदा और जल संरक्षण विधियों का प्रदर्शन करने के लिए लघु स्तर के कार्यों का वित्त-पोषण होगा।

घटक 4. परियोजना प्रबंधन और समन्वय (11.8 मिलियन अमरीकी डॉलर)

घटक 4 का उद्देश्य नीरांचल परियोजना का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन करने के लिए प्रभावी और उत्तरदायी परियोजना प्रबंधन सुनिश्चित करना है। इस घटक से नीरांचल परियोजना कार्यान्वयन यूनिट (पीआईयू) कार्यालय के लघु उन्नयन; विशिष्ट वृद्धिमूलक स्टाफ लागत (पूर्ण और अंशकालिक, दोनों); यात्रा के लिए वृद्धिमूलक प्रचालन लागतों (विश्व बैंक के मानदंडों के अनुसार), बैठकों, वित्तीय प्रबंधन, आंतरिक और वाह्य लेखा परीक्षा तथा प्रापण; उपस्कर और परियोजना प्रबंधन परामर्शी सेवाओं का वित्त-पोषण होगा।

कार्यान्वयन

संस्थागत और कार्यान्वयन प्रबंधन

भूमि संसाधन विभाग की राष्ट्रीय स्तर पर केन्द्रीय वित्त-पोषित वाटरशेड स्कीमों जैसे आईडब्ल्यूएमपी/डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई की योजना बनाने और उन्हें निष्पादित करने की समग्र जिम्मेदारी है। फील्ड कार्यान्वयन, वाटरशेड विकास के लिए डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई के तहत नियुक्त मौजूदा एसएलएनए के माध्यम से राज्यों द्वारा किया जाना है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि नीरांचल परियोजना सीधे चुनिंदा स्थलों में डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई फील्ड कार्यकलापों और अनुभवों से सीधे जुड़ी है, इस परियोजना का कार्यान्वयन एक जैसे तरीके से केन्द्रीय स्तर पर ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के तहत भूमि संसाधन विभाग द्वारा और राज्य स्तर पर एसएलएनए द्वारा किया जाएगा।

उच्च स्तरीय पर्यवेक्षण राष्ट्रीय परियोजना अधिकार प्राप्त समिति (पीईसी) द्वारा किया जाएगा। पीईसी सामान्य प्रगति की समीक्षा करेगी, वार्षिक योजना और बजट का अनुमोदन करेगी और नीतिगत मार्गदर्शन देगी। राष्ट्रीय परियोजना अधिकार प्राप्त समिति (पीईसी) में संगत केन्द्रीय मंत्रालयों और विभागों के वरिष्ठ प्रतिनिधि होंगे।

केन्द्रीय स्तर का परियोजना निष्पादन भूमि संसाधन विभाग के भीतर स्थापित परियोजना कार्यान्वयन यूनिट (पीआईयू) के माध्यम से किया जाएगा।

कार्यान्वयन साझेदार

निर्णय सहायक प्रणाली (डीएसएस) – जल विज्ञान के विकास के लिए परियोजना के तहत राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) रूड़की को साझेदार बनाया गया है।

Guidelines-Project Documents

Guidelines-Project Documents
क्रमांक शीर्षक अनुलग्नक फ़ाइल
1 Neeranchal-Proc Manual डाउनलोड (1.04 MB) doc
2 Project Appraisal Document (PAD) Disclosable डाउनलोड (1.06 MB) doc
3 Project Implementation Plan (PIP) डाउनलोड (4.42 MB) pdf
4 Revised Cost Table- Neeranchal Watershed Development Project डाउनलोड (179.05 KB) pdf
5 Strategic Environment and Social Assessment (SESA) Report डाउनलोड (2.57 MB) pdf

Constitution of Committees

Constitution of Committees
क्रमांक अनुलग्नक फ़ाइल
1 Constitution of Project Empowered Committee (PEC) of Neeranchal डाउनलोड (1.11 MB) pdf
2 Constitution of National Project Implementation Unit (NPIU) of Neeranchal डाउनलोड (925.51 KB) pdf