यह पूर्णतः मान्य है कि कार्यक्रमों की सफलता मुख्य रूप से प्रभावी प्रदायगी प्रणाली तथा बुनियादी स्तर पर दक्ष कार्यान्वयन पर निर्भर करती है ताकि कार्यक्रम के लाभ पूरी तरह से ग्रामीण गरीबों को मिल सकें। इसे सुनिश्चि्त करने के लिए विभाग ने कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए निगरानी और मूल्यांकन की एक व्यापक बहु-स्तरीय और बहु-साधन प्रणाली विकसित की है। निगरानी प्रणाली में अन्य बातों के साथ-साथ निष्पादन समीक्षा समिति, ग्रामीण विकास मंत्रालय और राज्य मंत्रियों द्वारा राज्यों के मुख्य मंत्रियों/ग्रामीण विकास मंत्री और अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठकें, क्षेत्र अधिकारी स्कीम, आवधिक प्रगति रिपोर्टें, लेखा-परीक्षा और उपयोग प्रमाण-पत्र, वीडियो कांफ्रेंसिंग और फील्ड दौरे आदि शामिल हैं।
सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में कार्यक्रम के कार्यान्वयन की निगरानी करने और अधिकाधिक पारदर्शिता लाने के लिए राज्य और जिला स्तरों पर सतर्कता और निगरानी (वीएण्डएम) समितियों का गठन किया गया है। इन समितियों में अन्य बातों के साथ-साथ सांसद/विधायक, पंचायती राज संस्थाओं और गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। लोक सभा और राज्य सभा, दोनों के सांसदों को पुनर्गठित वीएण्डएम समितियों में केन्द्रीय भूमिका सौंपी गई है और उन्हें जिला स्तरीय वीएण्डएम समिति का अध्यक्ष/सह-अध्यक्ष नामित किया गया है।
हाल के वर्षों में केन्द्र सरकार ने सभी संभव क्षेत्रों में ई-शासन पर बल दिया है। तदनुसार, ऑनलाइन निगरानी प्रणाली स्थापित की गई है। इस विभाग ने वाटरशेड परियोजनाओं पर तिमाही प्रगति की रिपोर्ट देना ऑनलाइन किया है तथा डाटा को परियोजना स्तर, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर डाला जाता है तथा उनकी नियमित रूप से निगरानी की जाती है। इसके अलावा, ऑनलाइन मासिक कार्यक्रम रिपोर्टिंग की एक अन्य प्रणाली भी स्थापित की गई है और कुछ अन्य प्रणालियां भी स्थापित करने का कार्य चल रहा है। विभाग सभी प्रमुख कार्यक्रमों का मूल्यांकन अध्ययन करता है और ग्राम स्तर के कार्यक्रम के समग्र प्रभाव का आकलन करने के लिए चुनिंदा अध्ययनों/ क्षेत्रों में प्रभाव आकलन अध्ययन भी किया जाता है।